मंथन..
Monday 25 August 2014
बिखरती जिन्दगी.....
पेड़ के पत्तों से बिखरती जिन्दगी ..
जो पत्ते सिमट जाये वैसी रह गयी जिन्दगी
बिखराव तो अधूरा सा था
किस किस को सिमटती जिन्दगी...
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