Thursday 8 December 2016

क्या होगा किसी उद्देश्य का अंतिम बिंदु?

"हिम्मत करने वाले की हार नहीं होती" यह वाक्य हमेशा आपने सुना होगा। जब भी कोई हार जाता है तो हम यही तो कहते है कि हार मत मान प्रयास करते रहो। समय बदलेगा और हार जीत में परिवर्तित होगी। लेकिन समय से बलवान कुछ नहीं है। समय सब निर्धारित कर देता है।
इन सब विचारों में केवल दर्शन की महक है जीवन इससे बहुत भिन्न है जिसमें हार केवल हार है और जीत केवल जीत। जीत केवल उम्मीद, आस, भविष्य की कल्पना को ढोर देने का काम करता है, तो हार केवल दर्द, घुटन, कायरता की गूंज पैदा करेगा। 
हम हमेशा हार को जीत में परिवर्तन करने की कोशिश करते है। कोशिश के लिए प्रयास की रोशनी की तलाश करते है। अपने आपको दिलासा देने की कोशिश करते है। जिसमें जीवन का दर्शन तय किया जाता है।
पहाड़ो में एक कहावत प्रचलित है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती है। वैसे ही जीवन के रास्ते को तय करते हुए यह लगने लगता है की पहाड़ के जीवन की तरह हमारी जिंदगी है। जहां हमेशा केवल विचारों को, सपनों को, उम्मीदों को, नई सोच को तय होने के बाद हम उसका इस्तेमाल ही नहीं कर पाते हैें। हर बार विचारों के आधार पर उसे बुनते है। कभी किसी सपने को पूरा करते हैं तो कभी बस निर्धारित करते-करते रह जाते है।
कभी भी अपने विचारों को समझ ही नहीं पाया हूँ जब भी समझने का प्रयास किया। केवल खाली मस्तिष्क में शून्य का बिंदु पाया है। जीवन की राह कब किसे निर्धारित करने का मौका देती है और किसे विराम कभी तय ही नहीं हो पाता है। एकाएक एक दिन समय के साथ जवाब मिल जाना ही जवाब होता है।
कभी सवाल यह उठता है कि जीवन के सफर में किसी उम्मीद को तय करने और बंद करने का निर्धारण कब बंद करना चाहिए। जब भी उत्तर की खोज करता हूँ तो केवल विचारों की क्रांति में मस्तिष्क के धरातल को सोच के करीब तय करने का पहला मौका देती है और बंद करने का भी मौका।

एक मित्र ने कुछ सुंदर पंक्ति में अपनी बात को समझाने का प्रयास किया मित्र कहता है जिस दिन हम किसी उद्देश्य के अंतिम बिंदु को मस्तिष्क में बांध लेते है तो कोई ऐसा बिंदु नहीं होता है। जो हमें उस दुख या हार से तोड़ दे क्योंकि हम अंतिम का निर्धारण कर ही आगे बढ़ते हैं। यही सब तय करने का मौका देते है जो कभी सोच के धरातल से जमीन को तय कर देता है। 
बस जीवन का मूलमंत्र ऐसे ही तय कर आगे बढ़ते जाए।

1 comment:

  1. लय की कमी है सर, वाक्य टूट रहे हैं। पाठक अंतिम छोर तक पहुँच नहीं रहा, आधे बीच मे पढ़ना छोड़ देगा।

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