Tuesday 23 December 2014

धर्म के ठेकेदार....

धर्म के नाम राजनीति की रोटी सकते लोगों पर घृणा भी आती है और तरस भी ....क्या सत्ता की भूख ऐसे ही धर्म के नाम पर चलती रहेगी ...सवाल मेरा नही ..पूरे उस इंसानी कौम का...जो संवेदनशील है.. जिसे अपनी इंसानियत पर पर गर्व होता हो..आज के समय में राजनीति में एक नई बहस का सूत्रधार हुआ है...नाम है धर्मंतारण .....जिस पर सत्ता ही नही ..सत्ता कि चाह रखनेवाले भेड़ियें आपनी आंख लाग कर बैठे हुए हैं...ऐसे भेड़़ियों को अपनी गंदी राजनीति की भूख मिटाने के लिए नया विषय मिल गया है....अपनी निजी लाभ कि राजनीति में हर कोई अपना हाथ साफ करने कि जद्दोजहद में है....कभी भी ताली एक हाथ से नही बजती उसकी पुष्ठभूमि को काफी लंबे समय से तैयार किया जाता है...इस मुद्दें ने तुल उस समय पकड़ा जब आगरा में हिंदू जागृति मंच ने कुछ मुसलमानों को हिंदू बना दिया और खबर के प्रकाशित होकर जनता तक आने में मीडिया ने एेसा रंग दे दिया कि यह धर्मपरिवर्तन सारे समाज के ठेकेदारों के लिए राजनीति का विषय बन गया ..जिस पर राजनीति दल को देश के अन्य कार्य छोड़कर सबसे बड़ा मुद्दा मिल गया... जो मात्रा अपने लाभ के लिए सियासत का हिस्सा बन गया ..जहां समाज एेसे मुद्दों से बचता आया है ..जिस विषय से समाज का माहौल खराब होता हो ...राजनीतिक दल और धर्म के ठेकेदार रोटी सकने लगे हैं...यह सारा विषय समाज को सोचने को मजबूर करता है कि ऐसे विषय को समाज कैसे समझे? क्याें समझे? किस तरह से समझे?...
 आगरा कि घटना के बाद मीडिया कि दल्ला पत्रकारिता ने इस विषय को दिनों दिन रंग पर रंग देता जा रहा है....राजनीति के भूखे इस विषय पर मीडिया के साथ हाथ से हाथ मिला कर चल रहे है ...जैसे यही वह विषय है जिससे पर विजय प्राप्त कर समाज का उद्धार कर देंगे .....देश कि गरीबी ,भूखमरी,विकास, बेरोजगारी आदि सभी विषय पर जैसे इन समाज के ठेकेदार राजनेताओं ने विजय पा लिया हो और कोई विषय इन ठेकदारों के पास बचा ही ना हो...तरस आता है इन नेताओं पर  ...
समझ नही आता इन पर घृणा करें..तरस खायें ..या फिर इन नेताओं का  मातम बनायें ....यह देश हमारा है ..हम इंसान हैं ...तो इंसानियत कि कदर करें ....

भाई साहब नेताजी जिसे जिस धर्म पर आस्था है उसे उसी धर्म में रहने दें ...उस पर राजनीति का नंगा खेल ना खेले ...ना ही उसे बहस का विषय बनायें...
 (लेख का और विषय कुछ दिन बाद आयेगा...) 

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