मुझे सत्ता की लालसा नही ...सत्ता अपने आप मोह करा देती है...कहने में बड़ा अच्छा लगता है...दिल्ली के चुनाव में जो अब हो रहा है ..सत्ता का मोह है या फिर एक अंह का द्वंद ....जहां आप के केजरीवाल नाम से किरण बेदी के मन में उबला पैदा हुआ ...जो सामाजिक कार्य छोड़ राजनीति की हवा को महसूस करने के लिए सत्ता की लालसा को भाजपा में तलाश करनें लगी ...यह सारे एक तर्क है जो किरण बेदी के भाजपा में जाने पर लोग के जहन पर पानी के झींटे की तरह आ रहे है ..जो नींद से उठाने की कोशिश कर रहा है ..मगर नींद को पूरी तरह खोल नही पा रहा है .
राजनीति इसी तरह लालसा बनाती है ...जिसे मोह कहे सकते है...
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