Wednesday 2 January 2013

सवाल की जड़ो को सोचना........

कुछ दिन से हर जगह एक ही र्चचा है, स्त्री सुरक्षा। समाज के हर वर्ग में स्त्री की सुरक्षा के लिये अवाज उठ रही हैं। लोगों जगह-जगह केंडल मार्च,धरने आदि का प्रर्दशन कर रहे है। इस सब के प्रति समाज में चेतना का प्रर्दूभाव कैसे आया यह हमारी सोच पर प्रश्न चिह्रन (?) लगता हैं। क्या सदीयों से सो रही सोच के प्रति लोगों में चेतना एकदम कैसे आई।
क्या महिला शोषण एक ही दिन में इतना बढ़ गया की लोग समाज में परिवर्तन की मांग करने लगे। नहीं सवाल की जड़े ऐसे ही पैदा नहीं होती, कहीं कारण हैं, जो ऐसे सवाल सोचने पर मजबूर करते हैं। हाल ही में दिल्ली में  एक युवती घिनौने अपराध की शिकार होती हैं, तो लोंगो में ऐसे सवाल बड़ा रुप ले लेते हैं। क्यों नहीं अन्य जगह पर जब स्त्री के साथ अपराध होते हैं, तो जनता अव़ाज नहीं  उठाती। हमारे न्यायालय कहीं वर्षा से न्याय नहीं दे पाते हैं। साथ ही राजनीति अपने लाभ के लिये ढ़ोग करती हैं।
हम अपराधों के बढे़ कारणों पर बहश करते हैं, परन्तु कारणों की वस्तविक जड़ो पर र्चचा करना भूल जाते हैं। जिसमें शराब के विषय में कोई प्रश्न नहीं कर रहा? जो सबसे बढ़ा कारण थी ,दिल्ली लड़की कैश में। ऐसे अपराधों की जड़ो को जन्म देने वाले कारकों को समझना चहिये हैं। केवल शराब व्यपार सरकार को आमदनी देंते हैं, इन्हें व्यपार के रुप में नहीं देखना चहिये। समाज को जितना दूषित शराब तत्व कर रहा है, उसके उदारहण रोज कोई न कोई अपराध के रुप में दिख जाते हैं।

ऐसे कहीं कारण हैं ......जिसे समाज को समझना होगा। उनके प्रति समाज को कढे़ फैसले लेने होगे। सवालो के प्रति जबाव की गति दूगनी करनी हैं। जो समाज को सही गति और दिशा दें सकें।