Thursday 20 December 2012

मैं..............

पैदा हुआ तो लोग खुशी मनाने आये ..
जब मौत हूई तो लोग संत्वना देने आये
दोनों में अंतर ढूँढ़ रहा था?
पैदा होने में चेतना थी,
मरने पर वह चेतना र्निजीव थी।
बस दोंनो ही स्थिति मेरे पास, 
मैं... की स्थिति भिन्न थी...

जब समय था, तो लोगों ने समझा नहीं..
जब समय छूटा, तो लोग समझने आये ..
दोनों ही स्थिति ....मैं.... भिन्न था...
एक स्थिति मैं... अपने परिवार को बनाने में लगा था ...
दूसरी स्थिति मेरा... परिवार मुझे संभालेन में लगा था.
एक मैं.... आपनों को कंधा देता था।
दूसरे मैं .....उन के कंधो के इंतजार में था....


मैं दोंनो ही स्थिति में भिन्न था.....

Monday 17 December 2012

क्या करने की फिराक में है ?.....

कभी मन सोचता यह कर लूँ, यह ना करूँ...
कभी मन सोचता है, ऐसे सवालों की जड़े ढूँढ लूँ...
अखिकार मन किस फिराक को ढूँढता हैं।
जिस मन में सवालों का अंबार हो.....
उस मन की दशा का क्या हाल बंया कर संकू।
स्थिति मन की न तब बदली थी, न अब बदली है.....
बस मन के फिराक में सवाल बदले है..
सवाल बस मन के यही पूछते है।
क्या करने की फिराक में है ? ..........


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Saturday 8 December 2012

याद ...

आज कहीं दिन बाद कुछ तस्वीरों पर नजर गई, सोच रहा हुँ। समय की रफ्तार कितनी गति से कितना कुछ बदल देता हैं। सोच कर हर यादें आज अजीब सी मायूसी मन को करा रही है। कुछ पंक्ति लिख रहा हुँ......


 जब सोचा अपने बिते दिनों को,
        मन में कही सवाल खड़े हो गये।
               हर सवाल अपने अन्तर द्घंद से ,
                              सवालों को व्यंग छोड़ गये।
उस व्यंगो की माया अपने में,
       कहीं कल्पना के रंग छोड़ गये।
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               कभी-कभी ऐसी तस्वीरों में रंग होते हुये भी रंग फिकें होतें हैं।................