मंथन..
Wednesday 23 July 2014
मेरे हिस्से की खुशी
मेरे हिस्से की खुशी भी खेल थी
कभी जीत जाती तो कभी हार जाती
जीत-हार के बीच का संतुलन न बना पाती
मेरे हिस्से की खुशी भी खेल थी.......
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