Monday 23 September 2013

जिन्दगी एक नज़रिये की तरह............

 इंसान किसी को कैसे देखता हैं, यह उसके नज़रिये पर निर्भर रहता है। जिन्दगी कहीं ऐसे लोंगो से मिलाती हैं जिन से हम बहुत कुछ सीखते और सीखाते हैं। अपने जन्म से मुत्यु  तक यह सीखने और सीखाने की प्रक्रिया चलती जाती हैं। जन्म से बोलने सीखने की कोशिश ..विघालय जाने पर शिक्षा सीखने की कोशिश....शिक्षा सीखने के बाद ..नौकरी सीखने की कोशिश ...यह सीखने की कोशिश ता उर्म चलती रहती हैं। इन सब सीखने पर नज़रिया सबसे मुख्य भूमिका अदा करता हैं।
वाकेई जिन्दगी एक नज़रिये की तरह हर रोज़  कूछ नया सिखाती हैं...