Sunday 23 February 2014

कल्पना की उड़ान...

मैं ऐसे शब्दों को लिखने की कोशिश कर रहा हूँ, जिसके औचित्य की बनावट क्या हैं इसका नहीं पता फिर भी लिख रहा हूँ....
पुराने दिनों की झलक वाकिय अजनबी शब्दों की तरह होती हैं जिसे जितना जानने की कोशिश करों वह उतना समझ पैदा कर देता हैं...
ऐसा किस कारण हैं उत्तर कभी नही मिलता हैं.. मिलकर भी जवाब अनकहे से लगने लगते है...
  मैं फिर कल्पना को अपने शब्दों से बांधने की कोशिश कर रहा हूँ ...जो आकार ले सके..
ऐसे  शब्दों की तलाश कर हूँ........ .