Wednesday 2 September 2015

विरोध की आवाज कैसे उठेगी



 हम कितने भी नरम स्वाभाव क्यों ना हो ..जब तक व्यक्ति अपने सम्मान के लिए विरोध नही कर सकता है...उसके लिए नरम स्वाभाव हमेशा से ही विरोधाभाव बनकर रह जाता है.... और ऐसा मान-सम्मान स्वंय के साथ सबसे बड़ा धोखा होता है .. मैं आज चर्चा कर रहा हूँ कि कोई मनुष्य कब तक गलत विषय का विरोध नही करता है ..उसे वह हमेशा ढोहकर ही क्यों चलता है... वह हर बार गलत के प्रति मुंह क्यों फेर लेता है ... व्यक्ति को यह डर क्यों रहता है की वह विरोध कर अपने लिए विरोधी का गुट पैदा कर लेगा या फिर उसके पास विरोधी से ना लड़ने की समझ होती है और ना वह यह समझ पैदा होने देता है ... वह हमेशा यही सोचता है की विरोध कर वह स्वंय के लिए रोड़ा तैयार ना कर लें....इसी मानसिकता पर हम हर बार सोचते रहते है और हर रोज उस विरोध से भागने का प्रयास करते है .. कब तक इस विरोध से भागने की मानसिकता को हम हमारे जहन पर हावी रहने देंगे...कब तक हम विरोध के खिलाफ अपने आपको दूर रखने की कोशिश करते रहेंगे... कब तक गलत से नही लड़ने का प्रयत्न करते रहेंगे..मैं हर रोज ऐसे विषय पर मंथन करता हूँ.. लेकिन इस विरोध से भागने का प्रत्यन भी क्योंकि में स्वंय के लिए विरोधी पैदा नही कर सकता हूँ ....हम समाज के एक ऐसे प्राणी है जो जानवरों से अलग है ...इसलिए क्योंकि हमारे पास सोचने समझने कि ताकत है ....लेकिन जानवर भी गलत के समय विरोध करता है ...परन्तु हम मनुष्य होकर अपने मान-सम्मान के लिए संघर्ष नही कर पाते है ..ना ही विरोध... फिर भी हम अपने आपको मनुष्यता के दायरे में सिमेटते है.. फिर भी हम स्वंय के साथ गलत होने पर आवाज नही उठा पाते है...एक पत्रकार समाज में गलत होने के लिए लड़ता है ...मैं और मेरा समाज इसे मानते है ..जानते नही है ...क्योंकि हम मानने और जानने में अंतर नही कर पाते है .. हम और हमारा समाज मानने में ज्यादा यकिन करता है .....जानने में नही.. फिर भी जब विरोध शब्द आता है तो हमारा समाज मानने में ही अधिक यकिन करता है .... क्यों मनुष्य रचना विरोध को मानने तक ही सीमित कर रह जाता है....इस विषय को समझने की कोशिश करना आवश्यक है.....नही तो इस समाज में हर समय मानने की स्थिति का ही बोलबाला रहेगा तो....समाज कभी जानने कि स्थिति में नही आ पायेगा...पत्रकार की खेप आजकल कॉलेजों, विश्वविघालय में पैदा की जाती है ..जो पहले स्वंय पैदा होते थे.. अपनी लेखनी से जाने जाते थे ..आज राजनीति कि बिरादरी पत्रकारों को पैदा करती है ..और अपने अनुसार कलम भी चलाती है .. तो कहां पत्रकारों से उम्मीद करें की वह गलत के खिलाफ लिखेंगे...क्या विरोध की आस करें।बस सवाल आप पर छोड़ देते है ..... जवाब आप खुद ढूंढ़े।