क्या करने की फिराक में है ?.....
कभी मन सोचता यह कर लूँ, यह ना करूँ...
कभी मन सोचता है, ऐसे सवालों की जड़े ढूँढ लूँ...
अखिकार मन किस फिराक को ढूँढता हैं।
जिस मन में सवालों का अंबार हो.....
उस मन की दशा का क्या हाल बंया कर संकू।
स्थिति मन की न तब बदली थी, न अब बदली है.....
बस मन के फिराक में सवाल बदले है..
सवाल बस मन के यही पूछते है।
क्या करने की फिराक में है ? ..........
.....................................................................................................
No comments:
Post a Comment