Tuesday 26 August 2014

वाकया हकीकत का......

ऑफिस गये और खबर मिली की ऑफिस छोड़ कर जाना है ...वह जाना एक दिन का नही ऑफिस से हमेशा का जाना था...किसी अहं के चलते ऑफिस छोड़ना ...ऐसे सवाल नही जवाब बनातेे है...अपने ऊपर ही नही दूसरे पर ...यही हकीकत हैं...
हकीकत हो भी क्यों नही जहां इंसानियत के वजूद पर सवाल उठते हो?
 वाकया एक दिन में नही बनाया जाता.. उसके पीछे पृष्ठ भूमि का निर्माण किया जाता है..कारण  होते हैं..कुछ अहं से अहं की गूंज  ...अहं हलचल के साथ तूफान ला देता है.. जो शांत तभी होते हैं... जब तक अपने होने की मौजूदगी न दें...

कहानी अधूरी है पर हकीकत के करीब....


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