Friday 15 August 2014

कौन सी आजादी .....

देश आजाद हो गया परन्तु हम कितने आजाद हुऐ समझ नही आता.. 67 वर्ष की आजादी के बाद भी आजादी की परिभाषा वही है ...जो आजाद न होने पर थी...आज भी जात पात की राजनीति, वर्ग विशेष का अंर्तर, गरीब अमिर की खाई, धर्म विशेष की पहचान ...67 साल बाद भी क्या बदला... क्या महसूस किया ...क्या पाया ...क्या देखने को मिलता हैं...आज भी धर्म के नाम पर वही खेल खेला जाता है.. जो आजादी से पहले खेला जाता ..लोंगो की भावना को धर्म के साथ जोड़ नया रंग दिया जाता हेै  ...फिर भी कहते हैं आजाद हैं हम ...यह कौन सी आजादी जहां धर्म तंत्र के नाम पर राजतंत्र की परिभाषा को गड़ा जाता है..व्यक्ति विशेष की पहचान बनाई जाती ... लोंगो के शोषण के साथ अपने घर की रोटी सेकी जाती हैं....कौन सी आजादी का जसन हम बना रहे है ...  आज भी कही सवाल कौंध जरुर करते...

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