लड़ तो हम रहे उससे भी
जो लड़ना नही जनता ....
आक्रोश फिर भी उसी पर दिखा रहे हैं
जो लड़ना नही जनता ..
नाटक के मंच की तरह दिखती है जिन्दगी
जो लड़ने और लड़ाने में भेद न ढूंढती....
जो लड़ना नही जनता ....
आक्रोश फिर भी उसी पर दिखा रहे हैं
जो लड़ना नही जनता ..
नाटक के मंच की तरह दिखती है जिन्दगी
जो लड़ने और लड़ाने में भेद न ढूंढती....
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