कभी शब्द ऐसी बातों को रच देता,
जो रचा हुआ अनोका लगता हैं।
उन शब्दों कि रची ध्वनियों से ,अपने आप को अकेला पाता हूँ।
कभी मन की गहराई, रचे शब्दों से कांप जाता हैं।
कभी उन्हीं शब्दों की मायूसी अपने आप में डूबाता हैं।
फिर भी शब्द अपनी बुनियाद बनाये रखता है................
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